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उत्तर प्रदेश। भाबर एवं तराई, पश्चिमी मैदानी एवं मध्य पश्चिमी मैदानी कृषि जलवायु क्षेत्र के 24 कृषि विज्ञान केन्द्रों की दो दिवसीय मध्यावधि समीक्षा कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। भाकृअनुप-अटारी कानपुर के निदेशक डा. शान्तनु कुमार दुबे ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन उ.प्र. के कृषि विज्ञान केन्द्रों की वर्ष 2024 की कार्ययोजना तैयार करने हेतु किया जा रहा है।निदेशक अटारी डा. शान्तनु कुमार दुबे ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया एवं साथ ही इस कार्यशाला का एवं केवीके के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि मध्यावधि कार्यशाला का मुख्य उद्देश वर्ष 2024 के लिये कृषि विज्ञान केन्द्रों की कार्य योजना तैयार करना है। कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा विगत वर्ष (2023) में किये गये कार्यों की समीक्षा भी की जा रही है। निदेशक अटारी कानपुर ने बताया की सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों कृषि के समस्त क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। और उनके द्वारा किये गये कार्य का उचित डाक्यूमेंटेशन होना भी अति-आवश्यक है। डा. दुबे ने केवीके से कहा कि प्रक्षेत्र परीक्षण (आन फार्म ट्रायल) की योजना बनाने से पूर्व सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन तकनीकों का उपयोग करते हुए गाँव का सर्वेक्षण आवश्यक है। केवीके के वैज्ञानिक एक टीम के रूप में सामंजस्य के साथ कार्य करें और गाँव भ्रमण कर किसानों से समूह चर्चा करके उनकी समस्यायें सुनें तथा उनकी जरूरतों के अनुसार कार्य नियोजन करें। उन्होंने यह भी बताया कि देश और प्रदेश में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है अतः इस बात को दृष्टिगत रखते हुए प्रक्षेत्र परीक्षण प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण की योजना बनायें।डा. ओ.पी. सिंह, पूर्व निदेशक प्रसार, सरदार वल्लभभाई पटेल कृ.एवं.प्रौ. विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा भी इस अवसर पर उद्बोधन दिया गया। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्षों तथा विषय वस्तु विशेषज्ञों से मिल कर कार्य कर नई-नई तकनीकियों को किसानों तक पहुँचाने का आवाहन किया।डा. पी.के. सिंह, निदेशक प्रसार, सरदार वल्लभभाई पटेल कृ.एवं.प्रौ. विश्वविद्यालय, मेरठ ने बताया कि एसवीपीयूएटी मेरठ के समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र के गाँवों का भ्रमण किया जा रहा है और किसानों की समस्याएं सुन कर कार्ययोजना बनाने के साथ-साथ उनका समाधान भी कर रहे हैं। डा. राघवेन्द्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी, कानपुर ने भी अपने उद्बोधन में केवीके के वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि जो भी तकनीक किसानों तक जाए उसमें आने वाली समस्याओं जैसे खरपतवार प्रबंधन, पानी प्रबंधन, उर्वरक प्रबंधन आदि का अध्ययन करें और उनके समाधान हेतु कार्य-नियोजन करें। डा. सीमा यादव, वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर ने अपने उद्बोधन में किसानों के पशुओं की बीमारियों, पोषक आहार, प्रक्षेत्र परीक्षण डिजाइन करने आदि पर अपने विचार कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ साझा किये। जिससे किसानों द्वारा पाले जा रहे जानवरों के स्वास्थ्य में सुधार और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सके। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र प्रारम्भ हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश के भाबर एवं तराई, पश्चिमी मैदानी एवं मध्य पश्चिमी मैदानी कृषि जलवायु क्षेत्र के 13 कृषि विज्ञान केन्द्रों ने कार्ययोजना 2024 का प्रस्तुतिकरण दिया जिसकी विशेषज्ञों ने समीक्षा कर अपनी टिप्पणी एवं सुझाव दिये। कार्यक्रम के अंत में डा. सीमा यादव, वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। इस अवसर पर डॉ. राम नरेश, डॉ. राजीव सिंह और श्री मोहिल कुमार एवं अन्य लोग भी उपस्थिति रहे।