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कानपुर नगर। उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदानी कृषि जलावायु क्षेत्र के 17 कृषि विज्ञान केन्द्रो के लिये आयोजित की जा रही दो दिवसीय मध्यावधि समीक्षा कार्यशाला के अंतिम दिन 9 कृषि विज्ञान केन्द्रों, द्वारा अपने कृषि विज्ञान केन्द्र की 2024 की कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण दिया गया। सभी केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा अपने-अपने कार्यक्षेत्र में किसानों की समस्याएं भी रखी गई और समस्यानुसार समाधान हेतु अपनी योजनाओं को प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डा. शान्तनु कुमार दुबे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर ने सभी का स्वागत किया और कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि कार्य योजना प्रमुख फोकस है साथ ही प्रक्षेत्र परीक्षण की परिकल्पना, उद्देश्य और विधियों की विस्तार से जानकारी समस्त उपस्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्षों एवं वैज्ञानिकों को दी। डा. दुबे ने कहा कि प्रदेश के समस्त केवीके काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं परन्तु किसानों की समस्याओं को देखते हुए सभी केवीके को और आनफार्म ट्रायल विकसित करने और कार्यान्वित करने की विशेष आवश्यकता है। डा. दुबे ने सभी केवीके को फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के अन्तर्गत सुपर सीडर के स्थान पर मल्चर के साथ हैप्पीसीडर को प्रयोग करने और कृषकों को इसकी दीर्घकालीन उपयोगिता बताने की सलाह दी।डा. ओ.पी. सिंह, पूर्व निदेशक प्रसार मेरठ, डा. एस.एस. सिंह, निदेशक प्रसार,. झांसी, अटारी कानपुर से डा. एस.के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, डा. राघवेन्द्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक,एवं 17 कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक भी कार्यशाला में उपस्थित रह कर अपनी सक्रीय भागीदारी को सुनिश्चित किया। कार्यशाला के अन्त में डा. सीमा यादव, वैज्ञानिक, अटारी कानपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।