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मुंबई। खराब वायु की गुणवत्ता के कारण सांस लेना दूभर होता जा रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने अच्छी वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कुछ कड़े फैसले लिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने मुंबई में दिवाली तक सभी निर्माण कार्य बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने दिवाली के मौके पर मुंबई में पटाखे फोड़ने की समय सीमा भी तय की है।
12 नवंबर को दिवाली, हाईकोर्ट का आदेश
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मायानगरी मुंबई लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता और श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ने के कारण सुर्खियों में है। सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया। उच्च न्यायालय ने शहर के वायु प्रदूषण के स्तर पर स्वत: संज्ञान लिया। वायु गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से 12 नवंबर को मनाई जाने वाली दिवाली तक मुंबई शहर में सभी निर्माण गतिविधियों को रोकने का निर्देश जारी किया।
निर्माण बंद होने पर आसमान नहीं टूट पड़ेगा
हाईकोर्ट ने कहा, “विकास कार्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की जान है। अगर कुछ दिनों के लिए निर्माण बंद कर दिया जाए तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।” अदालत के इस बड़े आदेश पर आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट के फैसले का उद्देश्य वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाना और मुंबई की वायु गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में सुधार करना है।
आने वाले दिनों में निर्माण सामग्री के परिवहन पर भी प्रतिबंध
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार के लिए कदम उठाने का अल्टीमेटम जारी किया है। अदालत ने सख्ती से कहा कि अगर अगली सुनवाई तक ये उपाय प्रभावी नहीं हुए तो हाई कोर्ट मुंबई में निर्माण सामग्री के परिवहन पर भी प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है।
अदालत ने पटाखे जलाने का समय भी तय किया
दीपावली की आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण को लेकर कोर्ट ने कहा, पटाखे केवल शाम 7 और रात 10 बजे के बीच ही फोड़े जाएंगे। इससे वायु प्रदूषण में पटाखों की भूमिका को सीमित किया जा सकेगा। पीठ का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “हम इसे शुक्रवार तक रोकने का प्रस्ताव करते हैं। देखते हैं कि क्या इससे कोई फर्क पड़ता है। यदि ऐसा होता है, तो हम इसे जारी रखेंगे या फिर पूर्ण अनुपालन की अनुमति देंगे।
सांस और आंखों की बीमारी से प्रभावित हो रही जनता
निर्माण सामग्री के परिवहन के संबंध में चीफ जस्टिस ने कहा, “जहां तक निर्माण सामग्री के परिवहन का सवाल है, शुक्रवार तक कुछ भी नहीं है।” यह फैसला मुंबई में बढ़ती वायु प्रदूषण की समस्या की प्रतिक्रिया के रूप में आया है। समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में 78 प्रतिशत परिवारों ने कम से कम एक सदस्य को सांस से जुड़ी बीमारी होने की बात कही है। सर्वे में सात हजार लोगों ने जवाब दिए। 44 प्रतिशत लोगों ने आंखों में जलन का अनुभव किया है।