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कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर की ओर से गेहूं की नई उन्नत किस्म डी बी डब्लू 187 (करन बंदना) के गुणवक्ता मूल्यांकन हेतु ख़लकपुर गांव में प्रगतिशील कृषक देवी प्रसाद के खेत पर लगे प्रदर्शनों पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। लगभग 50 से अधिक कृषकों ने भाग लिया।
केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ.शशिकांत ने बताया कि प्रक्षेत्र अनुसंधान नवसृजित कृषि तकनीकी के कृषक प्रक्षेत्र पर स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी के अनुसार आवश्यकता सुधार हेतु सूक्ष्म पर हस्तक्षेप करके तकनीकी सुधार एवं प्रसार की एक आवश्यक प्रक्रिया है। डॉ. राजेश राय ने बताया कि प्रक्षेत्र अनुसंधान के अन्तर्गत कृषक प्रक्षेत्र पर लगी हुई गेहूं की उक्त प्रजातियां बदलती जलवायु परिवेश को सहन करने में पूर्णतया सक्षम है तथा पकाव की अवस्था पर तापमान में यकायक वृद्धि को सहन करती है। उन्होंने बताया कि बालियों के सभी दाने एक साइज के पकते है और उपज क्षमता 50-55 क्विंटल होती है। डॉ निमिषा अवस्थी ने बताया कि रोग एवं व्याधियों की पूर्ण रोकथाम हेतु कृषि रसायनों के साथ-साथ बीज उपचार हेतु देशी तकनीक विधियों को खेत की तैयारी, बीज, बुवाई एवं अंकुरण अवस्था पर ध्यान देने से गेहूं की फसल में कीट-बीमारियों को पूर्ण रूप से रोका जा सकता हैै। चर्चा के दौरान डॉ शशिकांत ने बूंद-बूंद पानी से अधिकतम उत्पादन तकनीक को गेहूं, जौ के साथ-साथ साग -सब्जियों में प्राथमिकता से अपनाने हेतु जोर दिया। उन्होंने बताया कि कृषि प्रक्षेत्र अनुसंधान के तहत गेहूं की नई विकसित प्रजातियों के मूल्यांकन में सिंचाई, मृदा, स्वास्थ्य एवं समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन का विशेष महत्व है तथा समस्याग्रस्त मृदाओं को जिप्सम एवं ढैंचा की हरी खाद लगाकर फसल उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाना चाहिए। इस अवसर पर गांव के प्रगतिशील किसान धनीराम, कमलेश, बाबूलाल, पुत्तन लाल, दिनेश,भगवती एवं कृपाल सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।