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कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर पर निक्रा परियोजना अंतर्गत “ऊसर भूमि सुधार एवं जलवायु अनुकूल फसलों की विभिन्न प्रजातियां” विषय पर पांच दिवसीय (19 से 23 जुलाई 2024) कृषक प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। इस अवसर पर केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने कृषकों को ऊसर एवं ऊसर से प्रभावित भूमि को सुधार कर उसमें खेती करने हेतु जानकारी दी।उन्होंने ऊसर भूमि की पहचान हेतु बताया कि इसमें लवणों की अधिकता होती है, ऐसी भूमि में कृषि उत्पादन कम होता है।उन्होंने ऊसर भूमि बनने के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जमीन को परती छोड़ देना, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई,कम बारिश ज्यादा तापमान, आदि प्रमुख कारण हैं। उन्होंने ऊसर भूमियों को सुधारने के लिए कहा कि ऐसी भूमियों में ढैचा बुवाई तथा मेड़बंदी और जिप्सम मिक्सिंग का कार्य अवश्य करें। वरिष्ठ गृह वैज्ञानिक डॉक्टर मिथिलेश वर्मा ने बताया कि कृषक भाई ऊसर सहनशील विभिन्न फसलों की प्रजातियां को अवश्य बोएं जिससे उन्हें ऊसर भूमियों में भी उत्पादन एवं उत्पादकता अधिक प्राप्त हो। उद्यान वैज्ञानिक डॉक्टर अरुण कुमार सिंह ने ऊसर भूमियों में बागवानी के हेतु कृषकों को गुर सिखाए।डॉक्टर सिंह ने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि ऊसर भूमियों में फलदार पेड़ जैसे जामुन, बेल, अमरूद, आंवला, लसोड़ा, शहतूत, नींबू ,करौंदा आदि की बागवानी करें। जबकि छायादार पौधे हेतु सहजन, नीम, करंज, महुआ आदि की बागवानी कर अधिक लाभ अर्जित करें। कार्यक्रम को शुभम यादव, गौरव शुक्ला एवं श्री भगवान पाल ने विशेष सहयोग प्रदान कर सफ़ल बनाया। कृषक प्रशिक्षण में प्रगतिशील किसान श्री राम अवतार, राम शंकर, सियाराम एवं अशोक कुमार सिंह सहित 25 से अधिक किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।