निक्रा (NICRA) परियोजना अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्रों की दो दिवसीय वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

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न्यूज़ एक्सपर्ट—
कानपुर नगर। भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कानपुर में जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार परियोजना की दो दिवसीय (25 से 26 जून 2024) वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का आज शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में निक्रा परियोजना से जुड़े 17 कृषि विज्ञान केन्द्रों की गतवर्ष (2023_24) की उपलब्धियों एवं आगामी कार्य योजनाओं (2024_25) की समीक्षा की जा रही है।कार्यशाला के प्रथम दिन मुख्य अतिथि निदेशक केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद (क्रीडा) डा. वी के सिंह और अन्य उपस्थित विशिष्ट अतिथियों द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का औपचारिक शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हमारे लिये एक बड़ी चुनौती है। विशेषकर कृषि के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के काफी विपरीत प्रभाव पड़ रहे हैं। पहले के समय में और अब के समय में जलवायु में काफी अन्तर आ गया है। वृक्षों की कटाई, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन आदि से यह अन्तर आया है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए मृदा के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। मृदा परीक्षण का कार्य काफी महत्वपूर्ण हो गया है, मृदा परीक्षण का टारगेट सेट करने और परीक्षण कर कमियाँ और गुण बताने, कृषकों को जागरुक करने एवं प्रशिक्षण प्रदान करने आदि से जलवायु अनुकूल कृषि को और प्रोत्साहन मिलेगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डा. नागेंद्र राय, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी, डा. बी. गंगवार अध्यक्ष-जेड.एम.सी. निक्रा तथा डा. मसूद अली, सदस्य-जेड.एम.सी. निक्रा ने भी अपने विचार रखे। कार्यशाला में डा. एस.के. दुबे, निदेशक, भाकृअनुप- अटारी, कानपुर ने अपने स्वागत अभिभाषण में सभी उपस्थित गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और बताया यह निकरा परियोजना वर्ष 2011 से चल रही है एवं इसका उद्देश्य जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकी को बढ़ावा देना है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जलवायु संवेदनशील 17 जनपदों में यह परियोजना कार्यरत है। निक्रा के अन्तर्गत किसानों के लिये कस्टम हायरिंग सेंटर्स की भी व्यवस्था विकसित की गयी है जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को मशीनरी उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही किसानों को उन्नत प्रजाति के बीज तथा संबंधित तकनीकियाँ भी कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से प्रदर्शित कराये जाते हैं। कार्यशाला में निक्रा परियोजना से जुड़े कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्षों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों ने भी प्रतिभाग कर अपने अनुभव साझा किए।डा. जी प्रतीभा कोआर्डिनेटर निक्रा एवं डॉक्टर श्रीनिवास भी उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें जनपद-वार केवीके की उपलब्धियों पर गहन चर्चा की गयी।

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