गर्मी की गहरी जुताई हेतु कृषकों को दिया गया प्रशिक्षण

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न्यूज़ एक्सपोर्ट—

कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के निदेशक डॉ.आनंद कुमार सिंह के निर्देशों के क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर द्वारा ग्राम औरंगपुर गढ़वा में कृषकों को गर्मी की गहन खोजी विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस अवसर पर मृदा वैज्ञानिक डा. खलील खान ने बताया कि गर्मियों में अपने निचले खेतों में गहरी जड़ें जमाना संभव है। डॉ. खान ने बताया कि आगामी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए रबी की फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई करके गर्मियों में खेत को खाली रखना लाभप्रद होता है। उन्होंने कहा कि जहां तक ​​संभव हो सके किसान भाई मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें। काले खेत में गहरी जुताई माह में अवश्य करें। इस गहरी जुताई से जो ढेला पड़ते हैं वे धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं। साथ ही जूताई से मिट्टी की सतह पर फसल के लिए उपजाऊ मिट्टी की सतह की जड़ें एवं खेत में उगे हुए पौधे आदि नीचे तक जाते हैं। जो सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में प्रमुख खादों/जीवाण्श पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होती है, उससे भूमि में वायु संचार एवं जल धारण क्षमता बढ़ जाती है। गहरी जुताई से गर्मी में तेज धूप के कारण कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों के जीवाणु खत्म हो जाते हैं। मृदा साइंटिफिक ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु में उगने वाली जलवायु का प्रभाव शर्करा रूप से मिट्टी में होने वाली नमी पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में खनिज लवण पौधों को भोजन के रूप में अधिक उपयोगी बनाते हैं। इस अवसर पर केन्द्रित डा.अजय कुमार सिंह ने बताया कि किसान भाइयों को गर्मी की सजा दो-तीन साल में एक बार अवश्य करनी चाहिए। डॉ. सिंह ने बताया कि अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की वजह से भूमि कटाव में 66.5% तक की कमी आई है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत पशुओं में होने वाली संपत्तियों एवं उनके प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। गृह वैज्ञानिक दा निमिषा अवस्थी ने लघु उद्योग के बारे में जानकारी दी। जबकि गौरव शुक्ला ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर 50 से अधिक किसानों ने सहभागिता की।

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