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कानपुर नगर। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड, उत्तर पूर्वी मैदानी एवं विन्ध्य कृषि जलवायु क्षेत्र के 23 कृषि विज्ञान केन्द्रो के लिये आयोजित की जा रही दो दिवसीय मध्यावधि समीक्षा कार्यशाला के दूसरे एवं अंतिम दिन 11 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा अपने कृषि विज्ञान केन्द्र की 2024 की कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण दिया गया। डा. ओ.पी. सिंह, पूर्व निदेशक प्रसार सरदार वल्लभभाई पटेल कृ. एवं प्रौ. विवि, मेरठ, डा. नरेन्द्र सिंह, अपर निदेशक प्रसार, बांदा कृषि एवं प्रौ. विवि, बांदा, भाकृअनुप-अटारी कानपुर से डा. एस. के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं डा. सीमा यादव, वैज्ञानिक तथा उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड, उत्तर पूर्वी मैदानी एवं विन्ध्य कृषि जलवायु क्षेत्र के 23 कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष एवं विषय वस्तु विशेषज्ञों ने भी कार्यशाला में उपस्थित रह कर अपनी सक्रीय भागीदारी को सुनिश्चित किया। डा. नरेन्द्र सिंह, अपर निदेशक प्रसार, बांदा कृषि एवं प्रौ. वि वि. बांदा ने केवीके के वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि जो भी तकनीक किसानों तक जाए उसमें आने वाली समस्याओं जैसे खरपतवार प्रबंधन, पानी प्रबंधन, उर्वरक प्रबंधन एवं मृदा प्रबंधन आदि का अध्ययन करें और उनके समाधान हेतु कार्य नियोजन करें। इस अवसर पर डा. शान्तनु कुमार दुबे, निदेशक, भाकृअनुप, अटारी, कानपुर ने समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष एवं विषय वस्तु विशेषज्ञों के कार्यक्षेत्र की समस्याओं को सुना और समस्याओं के निराकरण हेतु सुझाव भी दिये। उन्होंने प्रक्षेत्र परीक्षण (आन फार्म ट्रायल) की परिकल्पना, उद्देश्य और विधियों की विस्तार से उपस्थित समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिकों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु सभी केवीके को आनफार्म ट्रायल विकसित करने और कार्यान्वित करने की विशेष आवश्यकता है। डा. दुबे ने बताया कि कार्यशाला में किसानों की समस्याओं के अनुरूप कार्ययोजना बना कर प्रक्षेत्र पदर्शन निर्धारित किये जायें। साथ ही उन्होंने सभी केवीके से अनुरोध किया कि धान, गेहूँ एवं दलहनी फसलो की जो भी किस्में लगायी जा रही है प्रत्येक किस्मों का कितना प्रतिशत है आदि जानकारी का उचित डाक्यूमेंटेशन आवश्यक है। डा. एस.के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप- अटारी, कानपुर ने इस अवसर पर बताया कि प्रत्येक केवीके पर विभिन्न विषयों के विषयवस्तु विशेक्षज्ञों (एसएमएस) का दायित्व है कि कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्षेत्र में किसानों को जो भी समस्यायें आती हैं उनका निराकरण करके किसानों के साथ कार्य करें। डा. सीमा यादव, वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर ने बताया कि किसानों के पशुओं की बीमारियों, पोषक आहार, प्रक्षेत्र परीक्षण डिजाइन करने आदि पर अपने विचार कृषि विज्ञान केन्द्रों के साथ साझा किये जिससे किसानों द्वारा पाले जा रहे जानवरों के स्वास्थ्य में सुधार और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सके। कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा आडिट यूटिलाइजेशन सार्टिफिकेट एग्रीड्रोन, प्रत्येक परियोजना के खाते एवं वित्तीय स्थिति, फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना, निकरा परियोजना एवं प्राकृतिक खेती आदि पर विस्तार कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष / वैज्ञानिकों एवं अटारी कानपुर के वैज्ञानिकों तथा अतिथि विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला के अन्त में डा. सीमा यादव, वैज्ञानिक, अटारी कानपुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।