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कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के वैज्ञानिक डॉक्टर राजेश राय ने मटर की वैज्ञानिक खेती विषय पर एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि मटर की खेती से जहां एक और कम समय में पैदावार ली जा सकती है। वहीं यह भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाने में सहायक है। फसल चक्र के अनुसार यदि किसकी खेती की जाए तो इससे भूमि उपजाऊ बनती है। मटर की जड़ों में मौजूद राइजोबियम जीवाणु भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायक है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 4.34 लाख लाख हेक्टेयर में मटर उगाई जाती है जो कुल राष्ट्रीय क्षेत्र का 53.7% है। शोध छात्र प्रसून सचान ने बताया कि मटर बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम पकवारा से नवंबर मध्य तक उचित रहता है मटर बुवाई के पूर्व राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचार करने के बाद ही बुआई करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि मटर के लिए 20 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 20 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। उन्होंने मटर की उन्नतशील प्रजातियों के बारे में बताया कि के पी एम आर 400,केपीएमआर 522, अपर्णा, रचना, पूसा प्रभात जैसी प्रजातियां उत्तम होती हैं। तथा बीज दर 75 से 85 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। रोग एवं कीटों की रोकथाम के लिए बीज एवं मृदा को शोधित अवश्य करें। सचान ने बताया कि किसान भाई अगर उत्तम कृषि कार्य प्रबंधन करते हैं तो 25 से 30 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।