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कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में आज उद्यान विज्ञान विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ वी के त्रिपाठी ने बताया कि बरसात के इस मौसम में यदि बागवान बाग रोपण के लिए तैयारी नहीं कर पाए है तो वे परेशान न हो। अभी ऐसे क्षेत्र का चुनाव करें जहां पर जल भराव न होता हो, जल निकास का उचित प्रबंध हो और वह क्षेत्र यातायात की सुविधाओं से जुड़ा हो। ध्यान यह रखें कि जिस क्षेत्र पर पौधारोपण करना है दो मीटर तक कोई भी कठोर परत न हो। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि उत्तर भारत में इस समय आम, अमरूद, नींबू, बेल, बेर, अनार आदि का बगीचा रोपण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आम की दशहरी, लंगड़ा, चौसा के लिए 8 x 8 मीटर की दूरी पर तथा आम्रपाली, अम्बिका और मल्लिका के लिए 6×6 मीटर की दूरी पर, अमरूद की लखनऊ 49, इलाहाबादी सफेदा, रेड फ्लैश चित्तीदार, बेदाना, ललित आदि किस्मों के साथ अनार की गणेश मृदुला, रूबी, नींबू की कागजी नींबू विक्रम सीडलेस प्रजातियों के साथ किन्नू मौसमी के रोपण के लिए 6 x 6 मीटर की दूरी पर गड्ढों की खुदाई करते हैं। बगीचा रोपड़ के लिए गड्ढा खोदते समय ध्यान यह रखें कि ऊपर की आधी मिट्टी अलग और नीचे की आधी मिट्टी अलग रखें। गड्ढा को भराव के लिए 10 से 15 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद को ट्राईकोडरमा से उपचारित करने के साथ उसमें 500 ग्राम नीम की खाली तथा 50 ग्राम एजोटोवेक्टर और 50 ग्राम पीएसबी कल्चर डालकर गड्ढे को जमीन से चार-पांच इंच ऊपर तक भर दें। उन्होंने बागवान भाइयों को बताया कि इसके बाद किसी नर्सरी से प्रजाति के अनुसार सही पौधा लेकर खेत में पौधे को उतनी गहराई तक रोपित करें जितना नर्सरी में था और साथ ही किसी लकड़ी आदि का सहारा देकर हल्की सिंचाई कर देना आवश्यक है। तत्पश्चात खरपतवारों को खुरपी से निकालते हुए आने वाले मौसम में सर्दी से और बाद में गर्मी से, तथा कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों को सही में समय नियंत्रित करते हुए कई वर्षों तक आप अपने बगीचे से गुणवत्ता युक्त फल प्राप्त कर आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।