श्री राधारानी को “किशोरी जू”क्यों कहते हैं

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न्यूज़ एक्सपर्ट—

भगवान श्रीकृष्ण की रासलीलाओं से तो हम सब वाकिफ हैं। श्रीकृष्ण और राधा को प्रेम, त्याग व समर्पण का प्रतीक माना जाता है. धरती लोक पर मनुष्य रूप में जन्मे राधाकृष्ण ने अनेकों लीलाएं रचीं। श्रीकृष्ण की इन लीलाओं में ऋषि मुनि भी शामिल होते थे। राधारानी तो देवी लक्ष्मी का रूप थीं, जो आजीवन किशोरावस्था में ही रहती, लेकिन राधारानी को यह ज्ञात नहीं था, इसलिए श्रीकृष्ण ने ऋषि अष्टावक्र के साथ मिलकर ऐसी लीला रचाई, जिसके परिणाम स्वरूप ऋषि अष्टावक्र ने राधारानी को आजीवन किशोरी रहने का वरदान दिया। एक बार ऋषि अष्टावक्र बरसाना गए थे, तब राधारानी से मिले। राधा रानी के मुख पर एक मुस्कान थी। उसको देखते हुए ऋषि अष्टावक्र को लगा कि मेरे कुरूप को देखते हुए राधा रानी हंस रही है तो क्रोधित होकर श्राप देने लगे, तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका और कहा कि राधा रानी किस वजह से मुस्कुरा रही है, इसका सच तो जान लीजिए। ऋषि रुके और उन्होंने कहा कि बताओ राधा रानी!

तुम क्यों मुस्कुरा रही हो?

तब राधाजी ने ऋषि अष्टावक्र से कहा कि वह उनके टेढ़े अंगों को देखकर नहीं हंसी। राधा जी ने कहा, आपके अंदर मुझे परमात्मा के दर्शन हो रहे हैं. परम ज्ञान और सत्य की अनुभूति के कारण आनंद से मैं हंस रही थीं। ऋषि अष्टावक्र राधा जी की बात से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने राधा जी को आजीवन किशोरी रहने का वरदान दिया। इसलिए राधारानी को किशोरी जू नाम से भी जाना जाता है।

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