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कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के सब्जी अनुभाग में संचालित सब्जी उत्कृष्ठता केंद्र परियोजना के अंतर्गत एक दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन ग्राम पांडेय निवादा में किया गया। परियोजना के समन्वयक डॉक्टर डीपी सिंह ने बताया कि सब्जी उत्कृष्ठता केंद्र का मुख्य उद्देश्य सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को संरक्षित खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना हैn उन्होंने बताया कि किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती के जरिए कम लागत में ज्यादा आमदनी के गुरु सिखाए जाते हैं। इस अवसर पर इस अवसर पर साग भाजी सस्य विद डॉक्टर राजीव द्वारा बताया गया कि धान गेहूं फसल चक्र के नियमित रूप से अपनाने के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति का व्हास हो रहा है इसलिए किसानों को अपने फसल चक्र में दलहनी फसलों के साथ-साथ सब्जी फसलों को भी समायोजित किया जाना वर्तमान समय की मांग है। कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर ए एन शुक्ल द्वारा लता वर्गीय फसलों में एकीकृतनाशी जीव प्रबंधन पर चर्चा करते हुए बताया गया की पत्तियों का रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए नीले एवं पीले फेरोमेनट्रैप को अपने खेतों में अवश्य लगाएं। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज कटियार द्वारा दलहनी फसलों की वैज्ञानिक खेती के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि मूंग की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए श्वेता, विराट एवं शिखा प्रजातियों की बुवाई करें। इस अवसर पर मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान द्वारा तिलहनी फसलों पर चर्चा करते हुए बताया कि सरसों की फसल बुवाई के 20 से 25 दिन बाद बिरलीकरण अवश्य करें ताकि अधिक पैदावार ली जा सके उन्होंने सल्फर के प्रयोग करने की सलाह दी।