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उत्तराखंड। पार्वती गौरी कुंड, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक धार्मिक स्थल है। इसका संबंध माता पार्वती जिन्हे माँ गौरी भी कहते है साथ ही यह केदारनाथ आने वाले भक्तों के लिए मोटर मार्ग का आखिरी पड़ाव हैं व यहीं से भक्तगण केदारनाथ व वासुकी ताल के लिए पैदल यात्रा शुरू करते हैं। गौरी कुण्ड की धार्मिक मान्यता को देखते हुए जो भी भक्तगण केदारनाथ जाते हैं, वे इस कुंड में स्नान करके ही आगे बढ़ते हैं। शिवजी- माँ पार्वती का विवाह गौरीकुंड से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित त्रिजुगीनारायण मंदिर में संपन्न हुआ था इसके पास में ही मंदाकिनी नदी बहती है। यहाँ पर माता पार्वती को समर्पित गौरी मंदिर स्थित है। केदारनाथ जाने वाले भक्त पहले गौरी मंदिर में जाकर माता पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।गौरीकुंड में वर्ष 2013 से पहले तक की स्थिति सही थी, इस झील का पानी गर्म होता था। भक्तगण जब केदारनाथ जाने के लिए यहाँ आते थे तब इस ठन्डे मौसम में इस गर्म झील में स्नान करने के पश्चात ही आगे बढ़ते थे। किंतु 2013 में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा ने सबकुछ नष्ट करके रख दिया। उस आपदा में केदारनाथ मंदिर के मार्ग व उसके आसपास के स्थलों को नष्ट कर दिया था। इसमें गौरी कुंड भी एक था। पहले जो सरोवर यहाँ हुआ करता था, अब उसकी जगह केवल एक पतली गर्म पानी की धार यहाँ होती हैं। इसके साथ ही सरकार के द्वारा एक पाइप की सहायता से गौरी कुंड का गर्म पानी उपलब्ध करवाया जाता हैं गौरीकुण्ड से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर है। केदारनाथ जाने के लिए आपको पहले गौरी कुंड ही पहुंचना पड़ेगा। यह मोटर मार्ग से पहुँचने वाला आखिरी पड़ाव है अर्थात यह केदारनाथ ट्रेक का आधार क्षेत्र है। यहीं से केदारनाथ मंदिर जाने के लिए ट्रेक शुरू होता है। यहाँ से आप पैदल केदारनाथ के ट्रेक पर भी जा सकते है या फिर अपनी इच्छानुसार घोड़ा, टट्टू/खच्चर, पालकी, पिट्ठू, पोनी इत्यादि की सुविधा ले सकते हैं। केदारनाथ से वापस लौटते समय भी आपको गौरीकुंड ही पहुंचना पड़ेगा व फिर यहाँ से आगे सोनप्रयाग जाना पड़ेगा। यहाँ आप वर्ष में किसी भी समय जा सकते हैं लेकिन भक्तगण सर्दियों में यहाँ नही आते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दियों में छह माह के लिए केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं। केदारनाथ धाम के कपाट दिवाली के अगले दिन से बंद हो जाते हैं व फिर मई माह में अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। ऐसे में यदि आप उस समय गौरीकुंड आएंगे तो केदारनाथ नही जा पाएंगे। इसलिए मई से अक्टूबर माह के बीच में यहाँ आया जा सकता हैं। गौरी कुंड जाने के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के ऋषिकेश, देहरादून या हरिद्वार पहुंचना पड़ेगा। फिर वहां से सोनप्रयाग के लिए स्थानीय बस, टैक्सी या कार लेनी होगी। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर दूर है गौरी कुण्ड, यहाँ से आपको शेयर्ड जीप में बैठकर गौरीकुण्ड पहुंचना पड़ेगा। ध्यान रखे आप सरकारी या निजी वाहन से सोनप्रयाग तक ही आ सकते हैं। इसके बाद आपको मंदाकिनी नदी पर बने पुल को पार करना होगा और वहां खड़ी जीप स्टैंड से शेयर्ड जीप लेनी होगी। इस जीप का किराया 30 से 50 रुपए के पास होता हैं जो आधे घंटे से भी कम समय में आपको गौरी कुण्ड छोड़ देगी। विशेष बात, इस कुंड का जल कैंसर पीड़ितों के लिए अमृत है, कैसा भी कैंसर हो, पूर्ण आस्था रख कर ही माँ गौरी महादेव से प्रार्थना करे अपना नाम गोत्र बोल के यह जल औषधि रूप मे प्राप्त कीजिये रोग मुक्ति हेतु व यहाँ का जल ले आईये व नित्य प्रातः उसका आचमन कीजिये महादेव माँ पार्वती का स्मरण कर, धीरे धीरे आप स्वस्थ हो जायेंगे।