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दिल्ली। देश में बड़े वर्ग के 50-60 समाचारपत्र ही रखे जायें। जी हाँ, अब नया ‘जन विश्वास एक्ट 2023’ एक्ट लागू हो गया। इसके तहत अब हर वर्ग के समाचार पत्र को प्रकाशन के 48 घंटों के अंदर आर0 एन0 आई0 कार्यालय नई दिल्ली या पी0 आई0 बी0 के रीजनल ऑफिस में समाचार पत्र प्रतियाँ जमा करनी होंगी। यह कार्य असम्भव नहीं है लेकिन बड़े वर्ग/घरानों के समाचारपत्रों की अपेक्षा छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों के लिये आसान भी नहीं है। पीआईबी की वेबसाइट के अनुसार देश भर में ऑफिस/कार्यालय 25 हैं जोकि कई जिलों से सैकड़ों किमी दूरी पर हैं, ऐसे में हर रोज वहां जाकर समाचारपत्र की प्रति जमा करना आसान नहीं है। समाचारपत्र की प्रति जमा न कर पाने पर रु0 2000 तक जुर्माना भरना पड़ेगा। इतना ही नहीं समाचार पत्र के रजिस्ट्रेशन के निरस्तीकरण अथवा निलम्बन का आधार भी इसे ही मान लिया जाएगा।
गौरतलब हो कि जिले स्तर पर राज्य सरकार के सूचना कार्यालय स्थापित हैं, जहां नियमित रूप से सभी अखबार जमा होते हैं। समाचारपत्रों की नियमितता आख्या तैयार की जाती है और राज्य के सूचना कार्यालय में भेजी जाती है, लेकिन अब नए एक्ट को माने तो मोदी सरकार ने शायद इन कार्यालयों का भी अस्तित्व समाप्त करने का मन बना लिया है क्योंकि समाचारपत्र की प्रति को जमा करने का अधिकार अब केंद्र सरकार ने अपने पास ले लिया है।
यह भी गौरतलब हो कि जो समाचारपत्र सी0 बी0 सी0 पूर्व नाम डी0 ए0 वी0 पी0 में सूचीवद्ध हैं। उन्हें तो हर माह पी0 आई0 बी0 कार्यालयों में समाचारपत्र की प्रतियाँ जमा करनी ही पड़तीं हैं किन्तु अब सभी राज्यों से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्रों की प्रतियाँ (चाहे सी0 बी0 सी0 में सूचीवद्ध हो या ना हो।) पीआईबी के क्षेत्रीय कार्यालयों में एवं एन0 सी0 आर0 से प्रकाशित समाचारपत्र की सभी प्रतियाँ, आर0 एन0 आई0 कार्यालय नई दिल्ली में 48 घण्टे के अन्दर जमा करवानी होंगी। मोदी सरकार ने आर0 एन0 आई0 के माध्यम से इस सम्बन्ध में एक फरमान भी जारी कर दिया है। परिस्थितियों पर अगर विचार करें तो वर्तमान की मोदी सरकार, तानाशाही की ओर निरन्तर अग्रसर है और देश के नागरिकों की स्वतन्त्रता को छीनना चाहती है। अनेक मुद्दे इसके उदाहरण हैं और अब इसीक्रम में लघु और मध्यम वर्ग के समाचारपत्रों का अस्तित्व मिटाने की ओर यह कदम उठाया गया हैं। ‘मोदी सरकार’ यह भलीभांति जानती है कि बड़े श्रेणी के समाचारपत्रों पर तो सरकार अपना नियन्त्रण पूरी तरह से कर सकती है अथवा कर चुकी है किन्तु छोटे, मझोले, क्षेत्रीय और क्षेत्रीय भाषाई समाचार पत्रों पर सरकार का ज़ोर नहीं चल पा रहा है क्योंकि वो संख्या में बहुत अधिक हैं, उन्हें नियंत्रित कर अपनी मनमर्जी के मुताबिक खबरें प्रकाशित करवाना आसान नहीं है। अतीत की बात करें तो छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों ने ही अनेक सरकारों के खिलाफ जनमत तैयार किया था, इसके अलावा अनेक घोटाले, राम-रहीम, आशाराम जैसे अनेक लोगों की पोल खोली, उन्हें जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया। पिछली सरकारें भले ही इसे हल्के में देखती रहीं किन्तु मोदी सरकार, छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों को कतई अनदेखा नहीं करना चाहती है और किसी भी कीमत पर इन्हें पनपने नहीं देना चाहती है। इसी लिये बड़े वर्ग के समाचारपत्रों के लिये सरकारी खजाने का दरवाजा खोले हुये है। इसके विपरीत, छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों के प्रकाशकों लिये नये-नये हथकण्डे अपना कर उनको मजबूर कर रही है जिससे कि वो इनका प्रकाशन स्वयं बन्द दें। अन्ततः निष्कर्ष यही निकलता है कि मोदी सरकार ने अब यह तय कर लिया है कि देश में बड़े वर्ग के 50-60 समाचारपत्र ही सुरक्षित रखे जायें और अन्य सभी वर्ग के समाचारपत्रों को बन्द करने पर मजबूर कर दिया जाये।