यूपी सरकार ने प्रोपर्टी को लेकर बनाया कानून

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न्यूज़ एक्सपर्ट—

लखनऊ। यूपी सरकार ने प्रोपर्टी को लेकर बनाया नया कानून, अब बच्चों को नहीं मिलेगा माता-पिता की संपत्ति में हक प्रदेश में केंद्र सरकार का माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 लागू है। इसे प्रदेश में वर्ष 2012 से लागू किया जा चुका है। इस अधिनियम के लिए वर्ष 2014 में नियमावली जारी की गई थी।मुख्यमंत्री ने कैबिनेट (cabinet) के समक्ष संशोधन प्रस्ताव रखने से पहले समाज कल्याण विभाग को महाधिवक्ता से सलाह लेने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, प्रदेश में केंद्र सरकार का माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 लागू है। इसे प्रदेश में वर्ष 2012 से लागू किया जा चुका है। इस अधिनियम के लिए वर्ष 2014 में नियमावली जारी की गई थी। इसके तहत उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में भरण-पोषण अधिकरण का गठन किया गया है। जिले में डीएम की अध्यक्षता में अपीलीय अधिकरण हैं। प्रदेश में गठित राज्य सप्तम विधि आयोग ने इस नियमावली में तीन संशोधनों की सिफारिश चार दिसंबर 2020 को की थी। विधि आयोग ने वर्ष 2014 में बनी नियमावली को केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं माना था। विधि आयोग ने नियमावली के नियम-22 के बाद तीन और नियम 22-क, 22-ख व 22-ग बढ़ाने की सिफारिश की है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान न रखने पर बच्चों या नातेदारों को उस संपत्ति से बेदखल करने के प्रविधान की बात कही गई है, जिस पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार है। बेदखली के लिए आवेदन अधिकरण के समक्ष किया जा सकता है। यह हैं प्रस्तावित संशोधन-वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से संतानों एवं रिश्तेदारों की बेदखली के लिए अधिकरण को आवेदन दे सकते हैं। अगर वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं तो कोई संस्था भी उनकी ओर से ऐसा आवेदन दाखिल कर सकती है। अधिकरण को यह अधिकार होगा कि वे बेदखली का आदेश जारी कर सकें। कोई व्यक्ति आदेश जारी होने से 30 दिनों के अंदर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली आदेश को नहीं मानता है तो अधिकरण उस संपत्ति पर पुलिस की मदद से कब्जा कर सकता है। संबंधित पुलिस भी बेदखली आदेश का पालन कराने के लिए बाध्य होगी। अधिकरण ऐसी संपत्ति को बुजुर्ग को सौंप देगा। जिला मजिस्ट्रेट अगले माह की सात तारीख तक ऐसे मामलों की मासिक रिपोर्ट सरकार को भेजेंगे। अधिकरण के आदेश के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपीलीय अधिकरण में अपील कर सकते हैं।

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