आलू फसल में पछेती झुलसा की प्रबल संभावना,आलू उत्पादकों हेतु सीएसए ने जारी की एडवाइजरी

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न्यूज़ एक्सपर्ट—

कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर एस के विश्वास ने बताया कि बीते कुछ दिनों से मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है पूरे दिन बादलों का बना रहना, धूप न आना, तापमान में गिरावट तथा कोहरे के साथ-साथ हल्की बारिश होना इत्यादि आलू में लगने वाले पिछेती झुलसा के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। डॉ विश्वास ने बताया कि ऐसे में मृदा एवं पौधों की पत्तियां गीली हो जाती हैं जिससे पिछेती झुलसा का कारक कवक (फाइटोप्थोरा इन्फेस्टेंस) के बीज उगाने लगते हैं। और पौधों को संक्रमित करते हैं। अगर यही स्थिति 3 से 4 दिनों तक और बनी रही तो पूरे खेत में यह संक्रमण बहुत जल्दी फैल जाता है।और फसल को नष्ट कर देता है। उन्होंने बताया कि पत्तियों का सिरे से अंदर की तरफ झुलसना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। अतः इस रोग से बचाव के लिए इक्वेशन प्रो (फैमोक्साडोन 16.6%+ साइमोक्सलिन 21.1% एस सी) एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या इक्रोबैट (डाईमैथोमार्क 50% डब्ल्यू पी) + (मैंकोजेब का 0.3%,) 3 किलोग्राम दवा 1000 लीटर लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव अवश्य कर दें। जिससे आलू फसल को झुलसा रोग से बचाया जा सके।

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